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Vision IAS Current Affairs Gk Today Current Affairs करंट अफेयर्स 2021

Gk Today Current Affairs Insight IAS Current Affairs

राष्ट्रीय घटनाक्रम


लिथियम अन्वेषण परियोजनाओं की शुरूआत (Gk Today Current Affairs)

भारत सरकार की ऊर्जा सुरक्षा योजनाओं के तहत भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) ने हाल ही में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और जम्मू और कश्मीर राज्यों में सात लिथियम अन्वेषण परियोजनाओं को शुरू किया है।

उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष फरवरी माह में केंद्र सरकार ने कर्नाटक के मांड्या जिले के मार्लगल्ला अल्लापटना क्षेत्र की आग्नेय चट्टानों में लिथियम संसाधनों की उपस्थिति की पुष्टि की थी। यह खोज अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि अपने इलेक्ट्रिक वाहनों की लिथियम आयन बैटरी के लिए भारत सस्ते लिथियम की खोज में है। खोजे गये लिथियम भंडार की मात्रा लगभग 1,600 टन तक हो सकती है।

 

लिथियम की आवश्यकता क्यों (Current Affairs 2021)

  • भारत में लिथियम की भविष्य की मांग नवीकरणीय ऊर्जा के परिवहन और भंडारण के विद्युतीकरण से प्रेरित है।
  • भारत ने वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को 30% तक बढ़ाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। हालाँकि, भारत अभी लिथियम आयन बैटरी बनाने के लिए आवश्यक सभी लिथियम का आयात कर रहा है। 
  • भारत वर्तमान में अपनी इलेक्ट्रिकल बैटरी के लिए चीन, जापान और ताइवान पर निर्भर है। क्योंकि भारत में लिथियम अत्यधिक महंगा है।

 

वैश्विक लिथियम भंडार एवं बाजार (Gk Today Current Affairs)

वर्तमान में चीन 51% वैश्विक लिथियम और 62% कोबाल्ट को नियंत्रित करता है। ये दो तत्व लिथियम आयन बैटरी के मुख्य घटक हैं। चीन के बाजार के लिए अधिकांश लिथियम दक्षिण अमेरिकी लिथियम बेल्ट से आता है। यह 500 मील की पट्टी है जो बोलीविया, अर्जेंटीना और चिली के जंक्शन पर केंद्रित है। इस बेल्ट में दुनिया का 75% से अधिक लिथियम भंडार स्थित है। 2019 में, भारत और बोलीविया ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत बोलीविया भारत को लिथियम कार्बोनेट की आपूर्ति करेगा।

 

तेलंगाना सरकार की 'तेलंगाना दलित बंधु'" योजना (Vision IAS Current Affairs)

हाल ही में, तेलंगाना सरकार ने घोषणा की है कि राज्य के दलितों के सशक्तिकरण के लिए शीघ्र ही तेलंगाना दलित बंधु' नामक एक योजना शुरू की जाएगी। इसे पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर राज्य के करीमनगर जिले के हुजूराबाद विधानसभा क्षेत्र से शुरू किया जाएगा।

 

योजना के बारे में ( current affairs 2021 )

इस योजना के तहत पात्र दलित परिवारों को बिना किसी बैंक गारंटी के 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा किया जाएगा। इससे लाभार्थियों को उनकी जरूरतों के मुताबिक, योजना तैयार करने, आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए उद्यम विकसित करने में मदद मिलेगी।

पहले चरण में योजना को लागू करने के लिए 119 विधानसभा क्षेत्रों में से 118 में से प्रत्येक में 100 परिवारों को चुना जाएगा। जिला कलेक्टरों सहित 100 वरिष्ठ अधिकारी लाभार्थियों और राज्य सरकार की भागीदारी के साथ एक 'सुरक्षा कोष' बनाने के अलावा योजना के परिणामों का विश्लेषण भी करेंगे। इस योजना के तहत प्रदान किए जाने वाले 10 लाख रुपये के अलावा 'सुरक्षा कोष' किसी भी आपात स्थिति में लाभार्थियों को आवश्यक सहायता भी प्रदान करेगा।

 

अर्थव्यवस्था :- जमा बीमा कानूनों में बदलाव को केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी (Vision IAS Current Affairs)

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (28 जुलाई) को जमा बीमा कानूनों में बदलाव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत यदि आरबीआई द्वारा किसी बैंक को स्थगन (Moratorium) के तहत रखा जाता है तो ऐसी स्थिति में 90 दिनों के भीतर खाताधारकों को 5 लाख रुपये तक की धनराशि प्रदान की जा सकेगी। सरकार इसके लिए 'जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम' (DICGC) विधेयक, 2021 लाने जा रही है।

वर्ष 2019 में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक जैसे बैंकों में जमाकर्ताओं को अपने फंड तक तत्काल पहुंच प्राप्त करने में हुई दिक्कतों ने जमा बीमा (Deposit Insurance ) के मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया था।

 

जमा बीमा के बारे में (Vision IAS Current Affairs In Hindi ) 

वर्तमान में, भारत में किसी बैंक के विफल होने की अप्रत्याशित स्थिति में, एक जमाकर्ता द्वारा बीमा कवर के रूप में प्रति खाता अधिकतम 5 लाख रुपये का दावा किया जा सकता है। प्रति जमाकर्ता 5 लाख रुपये का कवर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा प्रदान किया जाता है, जो कि भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। इस बीमा के प्रीमियम का भुगतान बैंकों द्वारा DICGC को किया जाता है, इसे जमाकर्ताओं द्वारा वहन नहीं किया जाता है। बैंक वर्तमान में बीमा कवर के प्रीमियम के में DICGC को प्रत्येक 100 रुपये की जमा राशि पर न्यूनतम 10 पैसे का भुगतान करते हैं, जिसे अब बढ़ाकर न्यूनतम 12 पैसे कर दिया गया है। जिन जमाकर्ताओं के खाते में 5 लाख रुपये से अधिक हैं, उनके पास बैंक के डूबने की स्थिति में धन की वसूली के लिए कोई कानूनी सहारा नहीं है।


अभी खाताधारकों को अपनी जमा राशि प्राप्त करने के लिये एक ऋणदाता के परिसमापन या पुनर्गठन का 8-10 वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है, अब 90 दिनों के भीतर खाताधारकों को 5 लाख रुपये तक की धनराशि प्रदान की जा सकेगी। यह वर्तमान में आरबीआई द्वारा वर्तमान में प्रतिबंधित बैंकों पर भी लागू होगा (जैसे- पीएमसी बैंक)

बैंक को स्थगन (Moratorium) के तहत रखे जाने के पहले 45 दिनों के भीतर DICGC जमा खातों से संबंधित सभी जानकारी एकत्र करेगा। अगले 45 दिनों में यह जानकारी की समीक्षा करेगा और जमाकर्ताओं को उनकी धनराशि अधिकतम 90 दिनों के भीतर चुकाएगा।

 

शंघाई सहयोग संगठन : - हाल ही में दुशांबे, ताजिकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के बारे में

SCO को शंघाई पैक्टके रूप में भी जाना जाता है। यह एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 2001 में की गई थी।

चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके संस्थापक सदस्य हैं। वर्तमान में इसमें 8 सदस्य हैं, भारत और पाकिस्तान को जून 2016 में इसका सदस्य बनाया गया। SCO सचिवालय, बीजिंग तथा RATS, ताशकंत इसकी स्थायी संस्थाएँ हैं। SCO के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं 


  • सदस्यों में आपसी सहयोग, विश्वास को बढ़ावा देना 
  • सदस्यों के बीच राजनीति, व्यापार, अनुसंधान संस्कृति के क्षेत्रों में प्रभावी सहयोग को बढ़ाना
  • क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थायित्व बनाने के लिए संयुक्त प्रयास करना 

 

भारत के लिए SCO का महत्व (करंट अफेयर्स 2021)

SCO भारत को मध्य एशियाई देशों से बेहतर संबंध बनाने के लिए अवसर प्रदान करता है, मध्य एशियाई प्राकृतिक संसाधन भारत के आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा SCO के ज़रिए भारत मादक पदार्थों की तस्करी, छोटे हथियारों के प्रसार और आतंकवाद व कट्टरतावाद जैसे समस्याओं से निपटने का प्रयास कर सकता है।

 

अर्थ ओवरशूट डे

विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अनुसार, 29 जुलाई, 2021 तक विश्वभर में मनुष्य ने उन सभी जैविक संसाधनों का उपयोग कर लिया है, जो पृथ्वी इस पूरे वर्ष में उत्पादित कर सकती थी। इस वर्ष मानव द्वारा दोहन पृथ्वी के पुनरुत्पादन क्षमता से 74% अधिक है। इस दिन को अर्थ ओवरशूट डे के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2019 में भी इसी तारीख को अर्थ ओवरशूट डे पड़ा था। WWF के अनुसार मानव अभी 1.7 पृथ्वी के बराबर संसाधनों का उपभोग करता है अर्थात पृथ्वी अभी मानव के दोहन की प्रतिपूर्ति कर पाने में सक्षम नहीं है।

कोविड 19 महामारी के दौरान औद्योगिक गतिविधियों पर रोक, प्रदूषण के स्तर में कमी aices. 2020 में अर्थ ओवरशूट डे 22 अगस्त तक आगे खिसक गया था, लेकिन पिछले एक वर्ष में अमेजन जंगलों के तेजी से सफाये के वैश्विक वन जैवक्षमता में 0.5% की कमी आई है। कारण वर्ष स्थिति और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि वर्ष 2021 में वनों की कटाई में साल-दर-साल 43% की वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा वर्ष 2020 के दौरान वैश्विक कार्बन फुटप्रिंट में 6.6% की वृद्धि दर्ज की गई है। हालाँकि परिवहन के साधनों से होने वाला प्रदूषण वर्ष 2019 की तुलना में कम रहेगा, लेकिन अर्थव्यवस्थाओं को पुनः पटरी पर लाने के लिए उद्योगों में कोयले के दहन से प्रदूषण बढ़ेगा।

 

कांडला विशेष आर्थिक क्षेत्र (KASEZ) (करंट अफेयर्स 2021)

कांडला विशेष आर्थिक क्षेत्र (KASEZ) इंडियन ग्रीन बिल्डिंग कौंसिल (IGBC) की ग्रीन सिटीज प्लेटिनम रेटिंग फॉर एक्सिस्टिंग सिटीज प्राप्त करने वाला पहला SEZ बन गया है। IGBC, नीतिगत पहलों, ग्रीन मास्टर प्लानिंग और हरित बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन के लिए प्लेटिनम रेटिंग प्रदान करती है। यह मान्यता देश के अन्य सभी SEZs को KASEZ द्वारा किए गए

प्रयासों और हरित पहल का अनुकरण करने के लिए प्रेरित करेगी। IGBC का गठन वर्ष 2001 में किया गया था, यह भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) का भाग है। इसका उद्देश्य सभी के लिए एक सतत निर्माण परिवेश को सक्षम करना तथा भारत को वर्ष 2025 तक सतत निर्माण परिवेश में अग्रणी देशों में से एक बनाना है।

 

विशेष आर्थिक क्षेत्रों के बारे में

किसी देश की सीमा के भीतर स्थित ये ऐसे क्षेत्र होते हैं, जहाँ के व्यवसाय एवं व्यापार संबंधी नियम शेष देश से भिन्न होते हैं। इन क्षेत्रों में विश्व स्तरीय आधारभूत ढाँचा एवं व्यवसाय के अनुकूल माहौल होता है।

भारत एशिया में निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (EPZ) की स्थापना करने वाले अग्रणी देशों में था। यहाँ 1965 में कांडला में पहले EPZ की स्थापना हो गई थी। वर्ष 2000 में SEZ नीति लाई गई तथा गया। कानून पारित किया गया, जिसके तहत SEZ के विकास पर जोर दिया 

 

विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना का उद्देश्य (करंट अफेयर्स 2021)

  • अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों का सृजन करना
  • वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात का घरेलु एवं विदेशी स्रोतों से निवेश आकर्षित करना
  • रोजगार के अवसरों का सृजन करना
  • अवसंरचना सुविधाओं का विकास करना

 

कोविड महामारी का पर्यटन क्षेत्र पर प्रभाव (आँकड़े) (करंट अफेयर्स 2021)

पर्यटन मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार कोविड महामारी के दौरान पर्यटन क्षेत्र में लगभग 2.15 करोड़ रोजगार लोग बेरोजगार हुए।

  • वर्ष 2019 में जहाँ देश में 10.93 मिलियन विदेशी पर्यटक आये, वर्ष 2020 में यह संख्या 2.74 मिलियन रह गई जबकि इस वर्ष जून 2021 तक 0.42 मिलियन विदेशी पर्यटक आये। 
  • घरेलू पर्यटकों की संख्या वर्ष 2019 में 2,321.98 मिलियन थी जो वर्ष 2020 में घट 610.21 मिलियन रह गई।
  • आर्थिक मंदी के कारण पर्यटन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धित (GVA 42.8% की गिरावट दर्ज की गई थी। 

 

फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 (करंट अफेयर्स 2021)

हाल ही में, फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को लोकसभा में पारित कर दिया गया है। यह फैक्टरिंग विनियमन कानून, 2011 में संशोधन के लिए लाया गया है ताकि फैक्टरिंग बिजनेस करने वाली इकाइयों (फायनेन्सरों) के दायरे को बढ़ाया जा सके। इस विधेयक को राज्यसभा द्वारा मार्च में ही पारित कर दिया गया था। CM

फैक्टरिंग के बारे में

फैक्टरिंग एक प्रकार का लेन-देन है, जिसमें किसी इकाई (MSMEs की तरह) द्वारा तत्काल धन के बदले (आंशिक या पूर्ण), अपनी प्राप्तियों या वस्तुओं' (ग्राहक से बकाया रूप में हासिल होने वाली) को तीसरे पक्ष (बैंक या NBFC की तरह एक 'फैक्टर') को बेचा जाता है। वर्तमान में, 'फैक्टरिंग' का अधिकांश व्यवसाय, सात 'गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों (NBFCs)' द्वारा प्रमुख व्यावसायिक शर्तों के माध्यम से किया जाता है।

 

संशोधन विधेयक के प्रावधान (करंट अफेयर्स 2021)

  • यह विधेयक 'भारतीय रिजर्व बैंक' को 'फैक्टरिंग व्यवसाय' के संबंध में नियम बनाने की शक्ति प्रदान करता है।
  • विधेयक में, किसी NBFC के लिए फैक्टरिंग व्यवसाय में प्रवेश करने हेतु निर्धारित सीमा को समाप्त कर दिया गया है।
  • इन संशोधनों के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को सहायता प्रदान करने की अपेक्षा की जा रही है। यह सहायता विशेष रूप से व्यापार प्राप्य बट्टाकरण प्रणाली (Trade Receivables Discounting System: TReDS) के माध्यम से ऋण सुविधा प्राप्त करने के अवसर उपलब्ध करवाने के जरिये की जाएगी।
  • फाइनेंसरों के दायरे को बढ़ाने से निधियोंकी लागत में कमी आ सकती है और ऋण की कमी से जूझ रहे छोटे व्यवसायों तक अधिक पहुंच संभव हो सकती है, जिससे उनकी प्राप्य राशियों के लिए समय पर भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा।

उल्का (Meteor)

पिछले दिनों एक असामान्य रूप से बड़ी उल्का (Meteor) ने दक्षिण-पूर्वी नॉर्वे में एक प्रभावशाली ध्वनि और तेज़ प्रकाश उत्पन्न किया। उल्का के लगभग 72,000 किमी प्रति घंटा की गति से वायुमंडल से होकर गुजरने के कारण नॉर्वे के रात्रि आकाश में दिन की भाँति प्रकाश उत्पन्न हुआ। इसके टुकड़े नॉर्व के जंगलों में कहीं गिरने की बात कही जा रही है।

उल्का एक अन्तरिक्ष चट्टान (Space Rock ) होती है, जो सौर मंडल में बिखरी होती हैं। हर दिन हजारों उल्काएँ पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं लेकिन उच्च तापमान के कारण इनमे से अधिकांश जलकर नष्ट हो जाती हैं।

यदि कोई उल्का पृथ्वी की सतह तक पहुँचने में कामयाब होती है तो उसे उल्का पिंड (Meteorite) कहा जाता है। नॉर्वे के आकाश में आई हालिया उल्का 'फायरबॉल' प्रकार की उल्का थी। ये उल्काएँ रात्रि आकाश में बुध के समान या उससे अधिक तीव्रता का प्रकाश उत्पन्न करती हैं।

हालिया इतिहास में सबसे विस्फोटक उल्का घटना वर्ष 2013 में मध्य रूस में चेल्याबिस्क के पास हुई थी। जैसे ही उल्का ने वायुमंडल में प्रवेश किया, उसने लगभग 400-500 किलोटन टीएनटी के बराबर या हिरोशिमा बम द्वारा जारी ऊर्जा के 26 से 33 गुना के बराबर विस्फोट किया। चेल्याबिंस्क और उसके आसपास के इलाकों में आग के गोले बरसे, इमारतों को नुकसान पहुंचा और लगभग 1200 लोग घायल हो गए।

 

विश्व बाघ दिवस (करंट अफेयर्स 2021)

प्रतिवर्ष दुनिया भर में 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के बाघ अनुमानों के अनुसार भारत में कुल बाघों की संख्या 2967 थी, राज्यों में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्यप्रदेश में हैं, अब इस संख्या में और भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। यहाँ अब दुनिया भर में रहने वाले बाघों की कुल संख्या का लगभग 70% बाघ रहते हैं। वर्तमान समय में देश में कुल 52 टाइगर रिजर्व हैं। भारत का पहला टाइगर रिजर्व जिम कार्बेट है। भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व नागार्जुन सागर श्रीशैलम है जबकि देश का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व महाराष्ट्र का पेंच है।

विश्व बाघ दिवस (करंट अफेयर्स 2021)

वर्ष 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ क्षेत्र वाले देशों के शासनाध्यक्षों ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा पर हस्ताक्षर करके वर्ष 2022 तक बाघ क्षेत्र की अपनी सीमा में बाघों की संख्या दोगुना करने का संकल्प लिया था। इसी बैठक के दौरान दुनिया भर में 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया। तब से हर साल बाघ संरक्षण पर जागरूकता का सृजन करने और उसके प्रसार के लिए वैश्विक बाघ दिवस मनाया जा रहा है।

 

नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) बनाने का प्रस्ताव

केंद्र सरकार द्वारा देश में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए एक नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) बनाने का प्रस्ताव दिया गया है।

 

नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) के बारे में (Current Affairs 2021)

  • यह नई शिक्षा नीति के तहत परिकल्पित एक स्वायत निकाय होगा।
  • इसका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों, विशेष रूप से विश्विद्यालयों, जहाँ आरम्भिक चरण में है, में अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा इसके लिए सुविधाएँ प्रदान करना है। 
  • RF R&D, शिक्षा एवं उद्योग के बीच संबंधों में सुधार के लिए भी काम करेगा। 
  • इसके माध्यम 5 वर्षों में 50,000 करोड़ का व्यय प्रस्तावित किया गया है।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) तथा सीमा सुरक्षा बल ने जैसलमेर में मरुस्थलीकरण को रोकने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोजेक्ट बोल्ड' की शुरुआत की है। केवीआईसी के प्रोजेक्ट बोल्ड (सूखे क्षेत्र वाली भूमि पर बांस आधारित हरित क्षेत्र) के हिस्से के रूप में बांस रोपण का उद्देश्य मरुस्थलीकरण को कम करना और स्थानीय आबादी को आजीविका उपलब्ध कराना तथा बहु-विषयक ग्रामीण उद्योग सहायता प्रदान करने के संयुक्त राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति करना है।

प्रोजेक्ट बोल्ड' 4 जुलाई को राजस्थान के उदयपुर जिले के एक आदिवासी गांव निचला मंडवा से शुरू किया गया था, जिसके तहत 25 बीघा शुष्क भूमि पर विशेष बांस प्रजातियों के 5000 पौधों का रोपण किया गया था।

जैसलमेर के रेगिस्तान में बांस पौधों का रोपण कई उद्देश्यों की पूर्ति करेगा, जिनमें मरुस्थलीकरण को रोकना, पर्यावरण संरक्षण तथा ग्रामीण और बांस आधारित उद्योगों को बढ़ावा दे करके विकास का स्थायी मॉडल स्थापित करना शामिल है। अगले 3 वर्षों में ये 1000 बांस के पौधे कई गुना बढ़ जायेंगे और लगभग 100 मीट्रिक टन बांस के वजन वाले कम से कम 4,000 बांस के लट्ठों का उत्पादन करेंगे। मौजूदा 5000 रुपये प्रति टन की बाजार दर पर यह बांस की उपज तीन साल पश्चात और इसके बाद में हर साल लगभग 5 लाख रुपये की आजीविका उत्पन्न करेगी, इस प्रकार से स्थानीय अर्थव्यवस्था को इससे काफी बढ़ावा मिलेगा।

बांस का उपयोग अगरबत्ती की स्टिक बनाने, फर्नीचर, हस्तशिल्प, संगीत वाद्ययंत्र और कागज की लुगदी बनाने के लिए किया जा सकता है, जबकि बांस के कचरे का व्यापक रूप से लकड़ी का कोयला और ईंधन ब्रिकेट बनाने में उपयोग किया जाता है। बांस पानी के संरक्षण के लिए भी जाने जाते हैं और इसलिए ये शुष्क और सूखे की अधिकता वाले क्षेत्रों में बहुत उपयोगी होते हैं।

 

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